वायु पांच है
प्राण ,अपान, समान , ब्यान, उदान इन पांचों को प्राण भी कहते हैं ।
प्राण वायु का निवास स्थान हृदय है यह शरीर के ऊपरी भाग में रहता हुआ ऊपर की इंद्रियों का काम संचालन करता है
अपान वायु का निवास स्थान गुदा के निकट है और यह शरीर के निचले भाग में संचालन करता है ,निचली इंद्रियों द्वारा मलमूत्र के त्याग आदि का काम उसके आश्रित है।
सम्मान वायु के मध्य भाग नाभि में रहता हुआ हृदय से गुदा तक संचार करता है, खाए पिए ,अन्न,जल आदि के रस को सब अंगों में बराबर बांटना उसका काम है।
व्यान वायु सारी स्थूल,सूक्ष्म और अति सूक्ष्म नदियों में घूमता हुआ शरीर के प्रत्येक भाग में रुधिर का संचार करता है।
उदान वायु सुक्ष्म शरीर को शरीरानतर वा लोकान्तर में ले जाता है।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
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