हमारा समय फालतू के कामों में इतना नष्ट नहीं होता है, जितना फालतू के सोच में हो होता है ,क्या करें क्या ना करें यह मानव जीवन की तब से विडंबना रही है ,तब से उसके मस्तिष्क ने सोचना शुरू किया है ।हम सभी इस का शिकार रहते हैं ,इसका नतीजा यह होता है की पूरी जिंदगी निकल जाती है और हम यह फैसला ही नहीं कर पाते हैं, कि हम क्या करें और क्या ना करें समय के उपयोग के लिए यह बहुत जरूरी है ,कि हमारे सामने हमारा लक्ष्य बहुत ही स्पष्ट हो हमें मालूम होना चाहिए हमें पहुंचना कहां है, यदि हमें यह मालूम नहीं होगा कि पहुंचना कैसे हैं ,तब भी हम शायद देर से पहुंच ही जाएंगे । पर हमें मालूम हो कि हमें पहुंचना कहां है, निश्चित रूप से यदि मंजिल का रास्ता भी मालूम हो तो हम वहां जल्दी और आसानी से पहुंच सकते हैं ,लेकिन यदि मंजिल ही मालूम ना हो तो फिर भला कोई कहां पहुंच पायेगा। किसी लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए अपने आप को तैयार करना और लक्ष्य को जानना अनिवार्य है, तो ही लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे ।