पहला सुख निरोगी काया ,दूजा सुख घर में हो माया । तीजा सुख कुलवंती नारी,चौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारी।पंचम सुख स्वदेश में वासा, छठवां सुख राज हो पासा । सातवां सुख संतोषी जीवन ,ऐसा हो तो धन्य हो जीवन। डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य