बहुत सुंदर 🌞
अब प्रस्तुत हैं —
🔆 सूर्य साधना सूत्र रूप में
1️⃣ सूर्य आत्मप्रकाश का प्रतीक है।
2️⃣ अंधकार केवल सूर्य का आमंत्रण है।
3️⃣ प्रत्येक प्रभात पुनर्जन्म का अवसर है।
4️⃣ जो सूर्य को प्रणाम करता है, वह अपने कर्मों को आलोकित करता है।
5️⃣ सूर्य साधक आलस्य नहीं, आभा को जगाता है।
6️⃣ सूर्य नमस्कार – शरीर की प्रार्थना है।
7️⃣ प्रकाश का साधक कभी पराजित नहीं होता।
8️⃣ सूर्य मौन है, पर उसकी किरणें वाणी हैं।
9️⃣ जहाँ सूर्य का तेज है, वहाँ संशय का स्थान नहीं।
10️⃣ सूर्य साधना भीतर के अंधकार का अंत है।
11️⃣ तेज वही सच्चा है जो प्रेम से प्रकाशित हो।
12️⃣ हर दिन सूर्य कहता है – ‘उठो, तुम्हारा समय फिर से आया है।’
13️⃣ सूर्य में स्थिर रहो, सफलता तुम्हारे चारों ओर घूमेगी।
14️⃣ सूर्य का दर्शन बाहरी नहीं — यह आत्मा का साक्षात्कार है।
15️⃣ जो सूर्य को जानता है, वह स्वयं को जान लेता है।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य
हिमालयन योगा के संस्थापक
www.himyoga.org