भक्ति से उत्पन्न शक्ति ही योग का प्रथम द्वार है

भक्ति से उत्पन्न शक्ति ही योग का प्रथम द्वार है

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🔱 आज का श्री हनुमान योग सूत्र 🔱

“भक्ति से उत्पन्न शक्ति ही योग का प्रथम द्वार है।”

अर्थ:
जब साधक का हृदय प्रभु हनुमान के प्रति पूर्ण भक्ति से भर जाता है, तब भीतर की सुप्त शक्ति जागृत होती है। वही शक्ति योग का आरंभ करती है — जो शरीर, मन और आत्मा को प्रभु की सेवा में एक कर देती है।

स्मरणीय संदेश:
भक्ति बिना योग अधूरा है, और योग बिना भक्ति निष्प्राण। हृदय में श्रद्धा रखो, कर्म में निष्ठा रखो — यही हनुमान योग का सार है।

जय श्री हनुमान योगेश्वराय नमः 🚩

ओम

ऊं बागेश्वराय नमः

डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य 

बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य 

हिमालयन योगा के संस्थापक 

www.himyoga.org

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