हर कोई तुम्हारी तरह सच्चा नहीं होता। कुछ लोग संबंधों में “लेना” जानते हैं, “निभाना” नहीं।वे अपने स्वार्थ, सुविधा या अहंकार से प्रेरित होकर व्यवहार करते हैं।क्योंकि जो व्यक्ति भीतर से अधूरा होता है, वही दूसरों को तोड़ता है।
वे अपनी कमी छिपाने के लिए दूसरों को दोष देते या धोखा देते हैं। क्योंकि प्रेम और अपेक्षा में संतुलन नहीं रख पाते जब अपेक्षाएँ बढ़ जाती हैं, और वे पूरी नहीं कर पाते तब बचने या भागने के लिए धोखा ही उन्हें आसान रास्ता लगता है।
क्योंकि आज के समय में रिश्ते जल्दी बनते हैं, पर समझ देर से आती है।बहुत लोग “अहसास” की जगह “आदत” बन जाते हैं,
और जब आदत टूटती है, वे जिम्मेदारी से भाग जाते हैं।
आध्यात्मिक रूप से देखें तो — यह भी एक पाठ (Lesson) होता है।जीवन हमें हर अनुभव से बोध देना चाहता है।जो तुम्हें दर्द देता है, वही तुम्हें जाग्रत भी करता है।ऐसे लोग तुम्हारे जीवन में इसलिए आते हैं कि तुम “बाहर से उम्मीद” छोड़कर “अंदर से पूर्ण” लोग बदलते हैं क्योंकि परिस्थितियाँ, इरादे प्राथमिकताएँ बदल जाती हैं।
लेकिन जो सच्चा होता है, वो बदलते मौसम में भी अपने रंग नहीं खोता
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
जय गुरुदेव जय बागेश्वर धाम