हिंदू सनातन विचार

हिंदू सनातन विचार

हिंदू सनातन विचार

“जो परिवर्तनशील में अपरिवर्तन को पहचान लेता है, वही सनातन को जानता है।”

भावार्थ

सनातन धर्म का अर्थ है — जो न कभी आरंभ हुआ, न कभी समाप्त होगा।
यह किसी व्यक्ति या पुस्तक पर आधारित नहीं, बल्कि जीवन के शाश्वत सिद्धांतों पर आधारित है।

सनातन विचार के मूल तत्व

  1. सत्य एक है, मार्ग अनेक हैं।
    — हर साधक अपनी प्रकृति के अनुसार ईश्वर तक पहुँच सकता है।

  2. सर्वभूत हिताय कार्यम्।
    — प्रत्येक कर्म में समष्टि का कल्याण छिपा होना चाहिए।

  3. अहिंसा, सत्य, करुणा और सेवा — यही धर्म के चार स्तंभ हैं।

  4. मनुष्य शरीर साधना का साधन है।
    — इसे केवल भोग में नहीं, योग में लगाना ही धर्म है।

  5. ईश्वर सर्वत्र है।
    — जब यह दृष्टि जागृत होती है, तब हर प्राणी में ईश्वर का दर्शन होता है।

  6. कर्म ही पूजा है।
    — बिना कर्म के धर्म अधूरा है; कर्म ही भक्ति और ज्ञान की भूमि तैयार करता है।

डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य 

बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य 

हिमालयन योगा के संस्थापक 

www.himyoga.org

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