आज का श्री हनुमान योग सूत्र
“भक्ति वह अग्नि है जो अहंकार को भस्म कर देती है, और सेवा वह दीप है जो मार्ग को प्रकाशित करता है।”
साधक हेतु संकेत
- हनुमान जी की साधना हमें सिखाती है कि भक्ति में शक्ति है और सेवा में पूर्णता।
- जब अहंकार नष्ट होता है तभी आत्मा में भगवान की झलक मिलती है।
3. साधक को चाहिए कि वह हर कार्य को सेवा और हर श्वास को भक्ति बना दे।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य
हिमालयन योगा के संस्थापक
www.himyoga.org
भक्ति + सेवा = हनुमान योग का सार