“योग अभ्यास केवल शरीर को लचीला बनाने का साधन नहीं,
बल्कि आत्मा को जागृत करने का माध्यम है।”
नियमितता – योग का फल तभी मिलता है जब अभ्यास निरंतर हो।
संतुलन – आसन, प्राणायाम और ध्यान का सम्मिश्रण साधक को सम्पूर्णता देता है।
अंतरंग यात्रा – बाहरी शरीर से भीतर के मन और अंततः आत्मा तक पहुँचना ही योग का सच्चा उद्देश्य है।
विनम्रता – योग अभ्यास अहंकार को नहीं, विनम्रता और समर्पण को बढ़ाता है।
शक्ति और शांति – योग साधक को शक्ति देता है, और उस शक्ति का उपयोग शांति की स्थापना के लिए प्रेरित करता है।