“विश्वास ही साधना का दीप है, और धैर्य उसका ईंधन।
इन दोनों के संग से ही साधक का पथ आलोकित होता है।”
विश्वास — श्रीराम नाम पर अटूट भरोसा, जो हर अंधकार को प्रकाश में बदल देता है।
धैर्य — हनुमानजी की तरह अचल और अडिग संकल्प, जो साधक को कठिनाइयों में भी थामे रखता है जब विश्वास और धैर्य एकत्र हों, तभी साधक को सच्चा योग-फल प्राप्त होता है।