जहां नाम स्मरण है, वही हनुमानजी का सानिध्य है

जहां नाम स्मरण है, वही हनुमानजी का सानिध्य है

“जहाँ नाम-स्मरण है, वहीं हनुमान का सान्निध्य है; और जहाँ हनुमान हैं, वहाँ भय और बाधा का प्रवेश नहीं।”

साधक हेतु संकेत

  1. साधना का सार है — नाम-स्मरण को जीवन का अभिन्न अंग बनाना।
  2. हनुमान स्मरण से आत्मबल, निर्भयता और सेवाभाव जाग्रत होता है।
  3. योगी के लिए हनुमान जी केवल आराध्य ही नहीं, वरन् मार्गदर्शक शक्ति हैं।

डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य 

बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य 

हिमालयन योग 

www.himyoga.org

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