श्री हनुमान योग सूत्र - रामनाम-शिवसूत्र
१. सूत्र
“शिवो रामो रामो शिवः — शिव और राम नाम अभेद हैं।”
२. विचार
- शिवजी की साधना का मूल आधार है राम नाम।
- राम नाम जपते हुए ही शिवजी परम शांति में लीन रहते हैं।
३. पुराण प्रमाण
- पद्मपुराण एवं स्कन्दपुराण में वर्णित है कि महादेव निरंतर रामनाम का जप करते हैं।
- पार्वतीजी के प्रश्न पर शिवजी बोले — “कलियुग में केवल रामनाम ही तारक है।”
४. रामेश्वर रहस्य
- श्रीराम ने लंका विजय से पूर्व शिवलिंग स्थापित किया।
- इस घटना से सिद्ध हुआ — राम ने शिव को पूजा, शिव ने राम नाम को जपा, यही परस्परता पूर्ण भक्ति है।
५. संत वचन
- तुलसीदास कहते हैं —
“महामंत्र जोइ जपत महेशू।
काल कराल करै अरि केशू॥” - अर्थात् रामनाम जप से मृत्यु भी वश में हो जाती है।
६. निष्कर्ष
- राम नाम अनादि है, शिवजी उसका जप करते हैं।
- राम बिना शिव अधूरे, शिव बिना राम अधूरे।
- साधक जब रामनाम जप करता है, तो वह शिव की साधना में ही प्रवेश करता है।
- डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
- बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य
- हिमालयन योगा..www.himyoga.org