“विश्वास गहरा” का अर्थ है — ऐसा विश्वास जो सतही या परिस्थितिजन्य न होकर, हृदय और आत्मा के गहराई तक उतर गया हो।
जब विश्वास गहरा होता है तो—
- वह केवल शब्दों पर आधारित नहीं रहता, बल्कि अनुभव पर टिक जाता है।
- उसमें संदेह की गुंजाइश बहुत कम रह जाती है।
- यह हमें कठिनाइयों में भी स्थिरता और साहस देता है।
- ऐसा विश्वास किसी व्यक्ति, ईश्वर, संबंध, या अपने ही आत्मबल में हो सकता है।
साधना की दृष्टि से, गहरा विश्वास ही भक्ति, ध्यान और योग को सार्थक बनाता है।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य
हिमालयन योग के संस्थापक
www.himyoga.org