पितृ पक्ष पर पितरों की तृप्ति और आशीर्वाद के लिए शास्त्रों में कुछ विशेष मंत्र बताए गए हैं। इन मंत्रों का जाप तर्पण, पिंडदान या श्राद्ध के समय करने से पितरों की शांति होती है और वे आशीष प्रदान करते हैं।
पितृ पक्ष के प्रमुख मंत्र
१. पितृ गायत्री मंत्र
ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः।
ॐ पितृदेवाय विद्महे, जगतधारिण्ये धीमहि,
तन्नः पितृ प्रचोदयात्॥
अर्थ: हम पितृदेव का ध्यान करते हैं, वे हमें प्रेरणा दें।
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२. पितृ तर्पण मंत्र
ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः।
ॐ प्रजापतये स्वाहा।
ॐ सोमाय पितृमते स्वाहा॥
तर्पण जल अर्पित करते समय यह मंत्र बोला जाता है।
३. महामृत्युंजय मंत्र (पितरों की शांति हेतु)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
-४. सरल पितृ स्मरण मंत्र
ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः।
ॐ पितृदेवता नमः॥
इन मंत्रों का सुबह सूर्य उदय के बाद तर्पण करते समय या श्राद्ध / पिंडदान के अवसर पर जप करना शुभ माना जाता है।
स्वच्छ जल, तिल और कुशा से तर्पण करना
विशेष फलदायी है।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
हिमालयन योगा
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