योग का सार यही है अपने भीतर शांति और बाहर सेवा

योग का सार यही है अपने भीतर शांति और बाहर सेवा

“योग का सार यही है – अपने भीतर शांति और बाहर सेवा।” 🌸

हम जीवनभर बाहर की परिस्थितियों को नियंत्रित करने में लगे रहते हैं,
लेकिन वास्तविक योग तब होता है जब हम

  • मन को शांत करना सीखें,
  • शरीर को संतुलित करें, और
  • हृदय को करुणा से भरें।

आज की दुनिया में सबसे बड़ा तप है –
👉 धैर्य रखना,
👉 सकारात्मक बने रहना, और
👉 दूसरों को लाभ पहुँचाने वाले कर्म करना।

याद रखिए –
🕉 सच्चा योगी वही है,
जो स्वयं सुखी होकर,
दूसरों को भी सुख का मार्ग दिखाए।

डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य 

बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य 

हिमालयन योगा 

www.himyoga.org

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