“जैसे हिमालय शांति में स्थिर खड़ा है, वैसे ही साधक को चाहिए कि वह परिस्थितियों के तूफ़ानों में भी अडिग रहे।
योग हमें यह सिखाता है कि मन को पर्वत जैसा स्थिर और हृदय को गंगा जैसा निर्मल बना लें।
जब भीतर संतुलन जागता है, तो बाहर का संसार स्वयं सरल और सुंदर हो जाता है।”
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य
हिमालयन योगा
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