धरती पर “स्वर्ग” भोगना किसी विशेष स्थान या वस्तु से ज़्यादा, एक जीवन-स्थिति है।
शास्त्र, संत-वचन और योग-दर्शन के अनुसार, ऐसे लोग धरती पर ही स्वर्ग का अनुभव करते हैं:
1. संतोषी और कृतज्ञ लोग
जिन्हें जो मिला है, उसमें आनंद पाते हैं, और ईश्वर का धन्यवाद करते हैं।
“संतोष परम सुखम्” — संतोष स्वयं एक जीवित स्वर्ग है।
2. प्रेम और करुणा से भरे लोग
जो बिना स्वार्थ प्रेम करते हैं और दूसरों के दुख में सहानुभूति रखते हैं।
उनके भीतर जो शांति और आनंद होता है, वह किसी स्वर्गिक सुख से कम नहीं।
3. साधक और योगी
जिनका मन भीतर स्थिर और निर्मल है।
वे बाहरी परिस्थिति कैसी भी हो, भीतर आनंद और स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं।
4. सेवा और त्याग करने वाले
जो अपने सुख से पहले दूसरों का सुख देखते हैं।
सेवा का आनंद बहुत गहरा और दीर्घकालिक होता है।
5. सत्य और धर्म पर चलने वाले
जिनके जीवन में पवित्रता और निःस्वार्थता है।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
हिमालयन योगा
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