प्रभु श्री हनुमान जी की भक्ति में अष्टांग योग का प्रत्यक्ष दर्शन
हनुमान जी की उपासना में अष्टांग योग स्वाभाविक रूप से प्रकट होता है —
- यम — हनुमान जी की अहिंसा, सत्य और निर्लोभता से प्रेरणा।
- नियम — उनका तप, स्वच्छता, संतोष और श्रीराम के प्रति समर्पण।
- आसन — ध्यान में पद्मासन या वज्रासन में श्रीराम-नाम जप।
- प्राणायाम — हनुमान चालीसा या मंत्रजप के साथ लयबद्ध श्वास।
- प्रत्याहार — मन को संसार से हटाकर रामकथा और सेवा में लगाना।
- धारणा — हनुमान जी के रूप, गुण और लीलाओं का स्थिर चिंतन।
- ध्यान — सतत भाव-स्मरण, जहाँ मन-हृदय दोनों रामदूत में लीन हों।
- समाधि — राम और हनुमान में भक्ति का अद्वैत अनुभव।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
बागेश्वर धाम सरकार के शिष्य
हिमालयन योग के संस्थापक
जय गुरुदेव जय बगेश्वर धाम
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