हनुमान जी की योग सिद्धि एक अत्यंत रहस्यमयी, दिव्य और गूढ़ विषय है, जो केवल भक्ति के माध्यम से नहीं, बल्कि अंतःकरण की शुद्धता, गुरु-सेवा, तप और योगाभ्यास से ही अनुभव किया जा सकता है। श्री हनुमान जी न केवल एक भक्तश्रेष्ठ हैं, बल्कि योगियों के आचार्य भी हैं। उनकी योग सिद्धियाँ उन्हें अद्वितीय बनाती हैं — एक ऐसा आदर्श योगी जो भक्ति और योग दोनों का पूर्ण समन्वय हैं।
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🔱 हनुमान जी की प्रमुख योग सिद्धियाँ
1. अणिमा सिद्धि (सूक्ष्मता की सिद्धि)
हनुमान जी का शरीर एक कण के समान हो सकता है। लंका में प्रवेश करते समय उन्होंने अणिमा सिद्धि का प्रयोग किया था।
2. महिमा सिद्धि (विस्तार की सिद्धि)
सूरज को फल समझकर निगलने की कथा में उन्होंने महिमा सिद्धि द्वारा अपना शरीर आकाश जितना बड़ा कर लिया।
3. लघिमा सिद्धि (वजन शून्य करने की सिद्धि)
समुंदर पार करते समय या उड़ने के समय हनुमान जी ने लघिमा सिद्धि का प्रयोग किया।
4. प्राप्ति सिद्धि (इच्छानुसार वस्तु प्राप्त करना)
संजीवनी बूटी लाने के समय उन्होंने प्राप्ति सिद्धि का उपयोग किया।
5. प्राकाम्य सिद्धि (इच्छा अनुसार गति और रूपांतरण)
हनुमान जी इच्छानुसार स्वरूप बदल सकते हैं, जैसे ब्राह्मण का रूप धारण करना।
6. ईशित्व सिद्धि (सृष्टि पर नियंत्रण)
वे इच्छानुसार रचना, रक्षा और संहार कर सकते हैं — जैसे राक्षसों का नाश करना।
7. वशित्व सिद्धि (प्रभाव द्वारा नियंत्रण)
हनुमान जी की उपस्थिति मात्र से देवता, असुर, मानव सभी प्रभावित होते हैं।
8. कामावसायिता सिद्धि (संकल्प सिद्धि)
उनका संकल्प साक्षात फलदायी होता है — यही कारण है कि वे “संकटमोचन” कहलाते हैं।
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🕉️ हनुमान जी के योग साधना के आयाम
आयाम विवरण
राजयोग हनुमान जी ध्यान, धारणा, समाधि में स्थित होते हैं। वे पूर्णत: चित्त-वृत्ति निरोध की अवस्था को प्राप्त कर चुके हैं।
हठयोग वायु तत्व से संबंधित होने के कारण उनके शरीर पर पूर्ण नियंत्रण है। उनकी प्राणशक्ति जागृत है।
भक्ति योग हनुमान जी राम नाम के भजन और स्मरण में लीन रहते हैं। यही उनकी सर्वोच्च साधना है।
कर्म योग निःस्वार्थ सेवा और आज्ञा पालन में वे कर्मयोग के आदर्श प्रतीक हैं।
ज्ञान योग उन्हें ब्रह्मज्ञानी कहा गया है — “राम काज करिबे को आतुर” होना ब्रह्मज्ञानी का लक्षण है।
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🔺 हनुमान जी = परिपूर्ण योगी
> “अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता”
— ये सिद्धियाँ केवल चमत्कार के लिए नहीं, धर्म-स्थापना, रक्षक रूप और सेवा भाव के लिए थीं।
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🔔 आधुनिक साधक के लिए संदेश:
यदि कोई हनुमान जी की योग-सिद्धियों को प्राप्त करना चाहता है, तो उसे चाहिए कि वह—
गुरु का पूर्ण आश्रय ले,
राम नाम की नित्य साधना करे,
प्राणायाम और ध्यान में दृढ़ हो,
सेवा, नम्रता, निर्भयता और निःस्वार्थता को जीवन में उतारे।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
हिमालयन योगा
www.himyoga.org