हनुमान योग साधना में तीन शरीर

हनुमान योग साधना में तीन शरीर

हनुमान योग साधना में तीन शरीर की अवधारणा एक अत्यंत गूढ़, योगिक और आध्यात्मिक विषय है, जो मानव चेतना की गहराइयों और भगवान हनुमान की योग-सिद्धियों को समझने में सहायक है। यह अवधारणा वेद, उपनिषद, योग दर्शन और तंत्र परंपरा में वर्णित “स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर” के सिद्धांत पर आधारित है।

🔱 हनुमान योग साधना में तीन शरीर

1. स्थूल शरीर (Physical Body)सेवा का शरीर

  • हनुमान जी का यह शरीर पूर्ण बल, तेज, और कार्यक्षमता का प्रतीक है।

  • यह वही शरीर है जिससे उन्होंने पर्वत उठाया, लंका को जलाया, रामसेतु बनाया

  • साधना पक्ष: हनुमान योग में स्थूल शरीर की साधना शारीरिक योगासन, प्राणायाम, और शुद्ध आहार के माध्यम से की जाती है।

👉 साधक को हनुमान जी की भांति शरीर को सेवा का साधन बनाना चाहिए, न कि भोग का।

2. सूक्ष्म शरीर (Subtle Body)भक्ति का शरीर

  • इसमें मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार आते हैं।

  • हनुमान जी का सूक्ष्म शरीर पूरी तरह राम-भक्ति में लीन है — मन में राम, वाणी में राम, श्वासों में राम

  • साधना पक्ष: इस शरीर की साधना जप, ध्यान, प्रार्थना, भाव-संवेदना, और मनोयोग से सेवा द्वारा होती है।

👉 साधक का मन, बुद्धि और चित्त हनुमान की तरह एकनिष्ठ, निर्मल और समर्पित बनना चाहिए।

3. कारण शरीर (Causal Body)समर्पण का शरीर

  • यह शरीर हमारे कर्मों, संस्कारों और आत्मा की यात्रा की गहराई को धारण करता है।

  • हनुमान जी का कारण शरीर पूर्ण समर्पण, निष्ठा और निर्भयता का प्रतीक है — “मैं राम का हूँ, यही मेरा धर्म है”।

  • साधना पक्ष: इस शरीर की साधना स्व-ज्ञान, निर्मोही भावना, ईश्वरार्पण बुद्धि, और गहन मौन साधना (mauna sadhana) द्वारा होती है।

👉 जब साधक कारण शरीर में स्थित हो जाता है, तब वह ‘मैं’ से मुक्त होकर ‘तू’ में विलीन हो जाता है — यही हनुमत तत्व है।

🕉 त्रिकाय सिद्धि – तीनों शरीरों का समन्वय

हनुमान योग साधना का लक्ष्य है:

  • स्थूल शरीर में बल और सेवा,

  • सूक्ष्म शरीर में भक्ति और भाव,

  • कारण शरीर में समर्पण और आत्मज्ञान

इन तीनों का संतुलन ही पूर्ण हनुमानत्व की प्राप्ति है।

🌺 हनुमान जी से प्रेरणा

🔻 “बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार।” यह पंक्ति तीनों शरीरों के लिए प्रार्थना है —

  • बल — स्थूल शरीर के लिए

  • बुद्धि/विद्या — सूक्ष्म शरीर के लिए

  • कलेश-विकार हरण — कारण शरीर की शुद्धि के लिए

डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य 

हिमालयन योगा 

www himyoga.org

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