हनुमान जी की सच्ची भक्ति एक ऐसा भाव है जो केवल शब्दों या कर्मकांड से नहीं, बल्कि पूर्ण समर्पण, निष्काम सेवा, अखंड विश्वास और निःस्वार्थ प्रेम से प्रकट होती है। हनुमान जी की भक्ति श्रीराम के प्रति एक आदर्श है, जिसे समझना और जीवन में उतारना स्वयं को दिव्यता की ओर ले जाना है।
आइए, हनुमान जी की सच्ची भक्ति के प्रमुख आयामों को समझें:
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🔥 1. निःस्वार्थ सेवा भाव (Selfless Service)
हनुमान जी ने कभी भी फल की इच्छा से सेवा नहीं की। उनका हर कार्य श्रीराम के लिए था:
> "प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया।"
🌊 2. पूर्ण समर्पण (Total Surrender)
उन्होंने स्वयं को श्रीराम के चरणों में अर्पित कर दिया:
> "प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं, जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।"
💖 3. भक्त और भगवान का तादात्म्य (Identification with the Lord)
हनुमान जी का हृदय ही श्रीराम का मंदिर बन गया:
> "सीता राम मय सब जग जानी, करहुँ प्रनाम जोरि जुग पानि।"
📿 4. अनन्य विश्वास (Unshakable Faith)
विपत्ति हो या युद्ध, उनका विश्वास कभी डिगा नहीं। वे जानते थे:
> "राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ विश्राम।"
🕉️ 5. विनम्रता और अहंकार-रहित भक्ति
असंभव कार्यों को करने के बाद भी हनुमान जी ने कभी स्वयम् को बड़ा नहीं माना:
> "सब ते बड़कर रघुवर भैया, तिन्ह के दास मोहि राखिए भैया।"
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✅ हनुमान भक्ति का सार
> ❝ सच्ची भक्ति वह है जहाँ "मैं" समाप्त हो जाए और केवल "तू ही तू" रह जाए। ❞
❝ हनुमान की भक्ति केवल शक्ति नहीं, एक भावस्थिति है — सेवा, प्रेम और समर्पण की। ❞
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🙏 सच्चे हनुमान भक्त के लक्षण:
वह अपने कर्तव्य को ही पूजा मानता है।
किसी भी कार्य को प्रभु सेवा मानकर करता है।
संकट में भी हनुमान नाम का आश्रय नहीं छोड़ता।
अहंकार नहीं करता, चाहे कितना ही विद्वान या बलवान क्यों ना हो।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
हिमालयन योगा
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