हनुमान जी की सूर्य योग साधना
एक अत्यंत प्रभावशाली और दिव्य साधना मानी जाती है। यह साधना सूर्यदेव के तेज, ज्ञान और ऊर्जा को आत्मसात करने हेतु की जाती है, और इसका संबंध हनुमान जी की बाल लीलाओं से भी है — विशेषकर उस प्रसंग से, जब उन्होंने बाल्यकाल में सूर्य को फल समझकर निगलने का प्रयास किया था, और बाद में सूर्य को अपना गुरु भी बनाया।
हनुमान जी की सूर्य योग साधना का महत्व:
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बुद्धि, बल और तेज की वृद्धि:
हनुमान जी ने सूर्य देव से शिक्षा प्राप्त की थी। यह साधना विवेक, स्मरण शक्ति और आत्मबल को जागृत करती है। -
प्राणशक्ति जागरण:
सूर्य योग में सूर्य नाड़ी (पिंगला) का जागरण होता है, जिससे शरीर में ऊर्जा प्रवाह तीव्र होता है। -
शारीरिक व मानसिक रोग नाशक:
सूर्य की ऊर्जा वात, पित्त, कफ के असंतुलन को संतुलित करती है।
साधना विधि (Surya Hanuman Yog Sadhana):
प्रारंभिक तैयारी:
- ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में स्नान करके पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- लाल वस्त्र धारण करें या आसन पर लाल कपड़ा बिछाएँ।
- सामने सूर्य की ओर खुला स्थान हो, जैसे छत या आंगन।
- हनुमान जी व सूर्य देव का ध्यान करें।
साधना क्रम:
1. प्राणायाम (5-10 मिनट)
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सूर्य भेदी प्राणायाम (Right nostril breathing):
- दाहिनी नासिका से श्वास लें और बायीं से बाहर निकालें।
- 11 से 21 बार करें।
2. सूर्य नमस्कार (12 चक्र)
- हर आसन में ॐ हनुमते नमः या ॐ सूर्याय नमः बोलें।
- शरीर में लचीलापन व उर्जा जागरण होगा।
3. बीज मंत्र जाप
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मंत्र:
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
- या
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हनुमान मंत्र:
ॐ हं हनुमते नमः
- जाप की संख्या: 108 बार (माला द्वारा)
4. सूर्य ध्यान और हनुमान जी ध्यान:
- सूर्य को ध्यान में रखें — तेजस्वी, रथ पर सवार, सात घोड़ों वाला रूप।
- फिर हनुमान जी को ध्यान में लाएं — सूर्य के सामने ज्ञानार्जन करते हुए।
5. संकल्प करें:
- "हे सूर्य देव! हे हनुमान जी! मुझे तेज, बल, ज्ञान और निरोगी जीवन प्रदान करें।"
साधना अवधि:
- कम से कम 21 दिन, और यदि संभव हो तो 40 दिन लगातार करें।
- प्रत्येक रविवार को विशेष पूजा करें।
विशेष बातें:
- यह साधना नेत्रज्योति, एकाग्रता, और ऊर्जा शक्ति बढ़ाती है।
- बालकों के लिए भी लाभकारी है (विशेषकर परीक्षा के समय)।
- गुरु-शिष्य भाव से यह साधना करें, जैसे हनुमान जी ने सूर्य को गुरु माना।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
हिमालयन योगा
www.himyoga.org