श्री हनुमान जी की योग कुंडलिनी जागरण विधि
श्री हनुमान जी केवल भक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि कुंडलिनी जागरण के पूर्ण सिद्ध योगी हैं। उनका जीवन, चरित्र, और साधना सभी प्राण शक्ति (वायु तत्व) से जुड़ी है, जो कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने की मूल धारा है।
कुंडलिनी जागरण का हनुमान-मार्ग: एक योगिक विधि
यह विधि एक गुप्त हनुमान सिद्ध योग क्रम है, जो वायु तत्व, प्राणायाम और राम-भक्ति के माध्यम से मूलाधार से सहस्रार तक चढ़ती है।
1. मूलाधार चक्र जागरण (Hanuman Mool Bandh):
स्थान: रीढ़ की हड्डी का निचला भाग
मंत्र: “ॐ हं हनुमते नमः” (21 बार)
विधि:
- सिद्धासन या वज्रासन में बैठें
- ध्यान मूलाधार पर रखें
- सांस रोककर मूलबंध करें (मूत्रेन्द्रिय, गुदा और नाभि को भीतर खींचें)
- मंत्र जप के साथ 3 मिनट तक अभ्यास करें
🪔 यह चक्र हनुमान जी की सुप्त ऊर्जा का प्रतीक है, जो राम नाम से जागती है।
2. प्राण शक्ति जागरण (Vayu Kriya Pranayama):
हनुमान जी वायु पुत्र हैं, अतः वायु (प्राण) के द्वारा कुंडलिनी को जागृत करना उनका विशेष मार्ग है।
विधि:
- कपालभाति – 3 राउंड (30-30 श्वास)
- अनुलोम-विलोम – 5 मिनट
- भस्त्रिका प्राणायाम – 3 राउंड
- भ्रमरी ध्वनि के साथ ध्यान – 3 मिनट
प्राण शक्ति का उन्नयन नाड़ी शुद्धि के माध्यम से होता है। हनुमान जी की वायु शक्ति इसी प्रक्रिया से प्रकट होती है।
3. राम-मंत्र ध्यान (Ajna Chakra Activation):
स्थान: भ्रूमध्य (तीसरी आंख)
मंत्र: “राम राम राम...” धीमे, लयबद्ध
विधि:
- आंखें बंद करके राम नाम का ध्यान भ्रूमध्य पर करें
- यह ध्यान ऊर्जा को मस्तिष्क के उच्च केंद्रों में ले जाता है
- कुंडलिनी यहां चेतना के साथ एकाकार होती है
हनुमान जी की चेतना श्रीराम में स्थित थी — यह सर्वोच्च ध्यान स्थिति (समाधि) है।
4. हनुमान शक्ति ध्यान (सहस्रार जागरण):
स्थान: सिर के ऊपर का भाग (सहस्रार)
विधि:
- कल्पना करें कि हनुमान जी का दिव्य रूप आपके सहस्रार से प्रकट हो रहा है
- वहां श्वेत प्रकाश या लाल तेज की अनुभूति करें
- मंत्र:
“जय राम भक्त हनुमान, जागृत शक्ति महाबलवान”
- यह ध्यान पूर्ण समर्पण की भावना से करें
यह अंतिम चरण है, जहाँ साधक आत्मा से परमात्मा में विलीन हो जाता है।
अनुशासन और साधना क्रम (Daily Hanuman Kundalini Sadhana Routine):
समय | साधना |
---|---|
प्रातः 5 बजे | स्नान करके साफ वस्त्र पहनें |
5:15 – 5:30 | मूलाधार ध्यान + मूलबंध |
5:30 – 6:00 | प्राणायाम (कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका) |
6:00 – 6:20 | राम नाम ध्यान (भ्रूमध्य पर) |
6:20 – 6:30 | सहस्रार ध्यान – हनुमान जी का दर्शन |
हर मंगलवार और शनिवार विशेष फलदायी माने जाते हैं।
विशेष मंत्र (कुंडलिनी जागरण हेतु):
“ॐ नमो वायुपुत्राय, योगबलसिद्धये हनुमते नमः”
यह मंत्र हनुमान जी की योगिक शक्ति को आह्वान करता है। इसका 108 बार जप करें।
निष्कर्ष:
हनुमान जी का कुंडलिनी योग मार्ग अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली है। वह सहज है, क्योंकि उसमें भक्ति का बल है।
हनुमान जी की कृपा से कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो सकती है – लेकिन संयम, नियम, गुरु-कृपा और आत्म-समर्पण अनिवार्य हैं।
डॉ संजीव शर्मा यगाचार्य
हिमालयन योगा
www.himyoga.org