हनुमान जी को अपना बनाने की साधना

हनुमान जी को अपना बनाने की साधना

हनुमान जी को अपना बनाने की साधना

एक अत्यंत भावनात्मक, शक्तिशाली और आत्मिक साधना है, जिसमें साधक हनुमान जी को केवल एक देवता नहीं, बल्कि स्वजन, सखा, रक्षक, और मार्गदर्शक के रूप में आत्मसात करता है।


यह साधना भक्ति, प्रेम, समर्पण और सेवा के माध्यम से हनुमान जी को अपने हृदय में स्थिर करने की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य है — हनुमान जी को केवल पूजना नहीं, उन्हें अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना।

हनुमान जी को अपना बनाने की साधना विधि

1. संकल्प (साधना प्रारंभ से पहले)

एक शांत स्थान चुनें। शुद्ध स्नान कर सफेद या भगवा वस्त्र धारण करें।

आसन पर बैठकर दाहिने हाथ में जल लेकर यह संकल्प करें:

"ॐ हं हनुमते नमः। हे पवनपुत्र! मैं आपके श्रीचरणों में सम्पूर्ण समर्पण भाव से इस साधना का आरंभ करता हूँ। मुझे अपना लीजिए। मेरे जीवन के प्रत्येक क्षण में आप निवास करें।"

 2. प्रारंभिक पूजन

श्रीराम जी, माता सीता और हनुमान जी का ध्यान करें।

दीपक जलाएं, लाल पुष्प, सिंदूर, गुड़-चने का भोग अर्पित करें।

 3. जप साधना (21 दिन या 40 दिन)

मंत्र:

 "ॐ श्री रामदूताय नमः"

याॐ हं हनुमते नमः"याॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा"

रोज़ 1 माला (108 बार) जप करें। तुलसी की माला या रुद्राक्ष की माला उपयुक्त है।

 4. भाव-ध्यान (5–10 मिनट)

आंखें बंद करें, और कल्पना करें कि हनुमान जी आपके सामने खड़े हैं — लाल आभा से दीप्त, रामनाम का जप करते हुए, आपकी रक्षा करते हुए।

अपने हृदय में उनसे कहें: "हे बजरंगबली, मैं आपका हूँ — आप मेरे हो जाइए।"

 5. हनुमान चालीसा/बाहुक/अष्टक पाठ

रोज़ एक बार श्रद्धा से पाठ करें।

हनुमान चालीसा के यह दोहे विशेष भाव से पढ़ें:

 "सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।"

"संकट से हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।"

 6. सेवा और व्रत

मंगलवार/शनिवार व्रत करें, ब्रह्मचर्य व्रत रखें।

गौसेवा, पीपल जल दान, भंडारा, निर्धनों की सहायता — हनुमान जी की सेवा का ही रूप है।

 साधना के संकेत – जब हनुमान जी आपके हो जाएँ


अनुभव संकेत

मन में निडरता, विश्वास हनुमान जी का बल जागृत हो रहा

बार-बार “जय श्रीराम” स्वाभाविक जप हनुमान जी का सान्निध्य

स्वप्न में दर्शन या आभास कृपा दृष्टि मिलना शुरू

संकटों से सहज मुक्ति आपके रक्षक बन गए

*हनुमान जी को अपना बनाने की साधना** एक अत्यंत भावनात्मक, शक्तिशाली और आत्मिक साधना है, जिसमें साधक हनुमान जी को केवल एक देवता नहीं, बल्कि *स्वजन*, *सखा*, *रक्षक*, और *मार्गदर्शक* के रूप में आत्मसात करता है।

 

यह साधना **भक्ति, प्रेम, समर्पण और सेवा** के माध्यम से हनुमान जी को अपने हृदय में स्थिर करने की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य है — *हनुमान जी को केवल पूजना नहीं, उन्हें अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना।*

  

 **हनुमान जी को अपना बनाने की साधना विधि

 1. **संकल्प (साधना प्रारंभ से पहले)

 - एक शांत स्थान चुनें। शुद्ध स्नान कर सफेद या भगवा वस्त्र धारण करें।

  आसन पर बैठकर *दाहिने हाथ में जल लेकर यह संकल्प करें*:

 ॐ हं हनुमते नमः। हे पवनपुत्र! मैं आपके श्रीचरणों में सम्पूर्ण समर्पण भाव से इस साधना का आरंभ करता हूँ। मुझे अपना लीजिए। मेरे जीवन के प्रत्येक क्षण में आप निवास करें।"

   2. **प्रारंभिक पूजन**

  श्रीराम जी, माता सीता और हनुमान जी का ध्यान करें।

  दीपक जलाएं, लाल पुष्प, सिंदूर, गुड़-चने का भोग अर्पित करें।

 

 3. **जप साधना (21 दिन या 40 दिन)

 **मंत्र**:

 ॐ श्री रामदूताय नमः"** **या** **"ॐ हं हनुमते नमः"** **या** **"ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा"

  रोज़ 1 माला (108 बार) जप करें। तुलसी की माला या रुद्राक्ष की माला उपयुक्त है।

 4. **भाव-ध्यान (5–10 मिनट)

 आंखें बंद करें, और कल्पना करें कि हनुमान जी आपके सामने खड़े हैं — लाल आभा से दीप्त, रामनाम का जप करते हुए, आपकी रक्षा करते हुए।

  अपने हृदय में उनसे कहें: **"हे बजरंगबली, मैं आपका हूँ — आप मेरे हो जाइए।"**

  5. **हनुमान चालीसा/बाहुक/अष्टक पाठ**

  रोज़ एक बार श्रद्धा से पाठ करें।

 - हनुमान चालीसा के यह दोहे विशेष भाव से पढ़ें:

 **सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।**" "**संकट से हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।**"

  6. **सेवा और व्रत**

  मंगलवार/शनिवार व्रत करें, ब्रह्मचर्य व्रत रखें।

 - गौसेवा, पीपल जल दान, भंडारा, निर्धनों की सहायता — हनुमान जी की सेवा का ही रूप है।

 


  

साधना के संकेत – जब हनुमान जी आपके हो जाएँ

 अनुभव

 संकेत

 मन में निडरता, विश्वास

 हनुमान जी का बल जागृत हो रहा

बार-बार “जय श्रीराम” स्वाभाविक जप

 

हनुमान जी का सान्निध्य

 स्वप्न में दर्शन या आभास

 कृपा दृष्टि मिलना शुरू

 संकटों से सहज मुक्ति

 आपके रक्षक बन गए

 

   विशेष संकेत:

 यदि आप साधना के बीच **हनुमान जी का चित्र** अपने पास रखते हैं, तो धीरे-धीरे उस चित्र में *आत्मीयता* आ जाती है। आप महसूस करने लगते हैं कि वह चित्र **आपसे संवाद** कर रहा है — यही है सच्चा आत्मिक संबंध।

  

डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य 

हिमालयन योगा 

wwww.himyoga.org

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