श्री हनुमान जी विचार
🔥 1. भक्ति में शक्ति है
"राम काज कीन्हें बिना मोहि कहाँ विश्राम।"
हनुमान जी की भक्ति केवल भावना नहीं, कार्य में परिणत होती है।
👉 सीख: सच्ची भक्ति निष्क्रिय नहीं होती, वह सेवा में रूपांतरित होती है।
🛡️ 2. डर केवल भ्रम है
"भूत पिशाच निकट न आवै, महावीर जब नाम सुनावै।"
हनुमान जी का नाम ही भय को भगाने वाला है।
👉 सीख: जब आत्मबल और विश्वास साथ हो, तब कोई भी भय टिक नहीं सकता।
🧠 3. बुद्धि बल से बड़ी होती है
"विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर।"
हनुमान जी शारीरिक रूप से तो शक्तिशाली थे ही, परंतु वे बुद्धिमत्ता में भी अद्वितीय थे।
👉 सीख: केवल ताकत नहीं, विवेक भी जरूरी है।
🤲 4. अहंकार नहीं, समर्पण
हनुमान जी ने कभी भी अपनी शक्तियों का घमंड नहीं किया।
👉 सीख: जो सच्चा सेवक होता है, वह 'मैं' नहीं कहता – वह 'प्रभु की कृपा' कहता है।
🕉️ 5. हर युग का योद्धा
हनुमान केवल त्रेता युग में नहीं, हर युग में जाग्रत देवता हैं।
👉 सीख: जब भी धर्म संकट में होता है, सेवाभावी आत्माएँ प्रकट होती हैं।
डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य
हिमालयन योगा
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