हनुमान योग सूत्र विचार

हनुमान योग सूत्र विचार

हनुमान योग सूत्र विचार
(संक्षिप्त आध्यात्मिक एवं योगिक विश्लेषण)


१. "श्रीराम दूतम्" – समर्पण योग
हनुमान जी के संपूर्ण जीवन का मूल है सेवा और समर्पण
👉 यह सूत्र बताता है कि योग का प्रथम पथ ईश्वर की शरण और निष्काम सेवा है।
हनुमान जी रामकाज में रमे रहे – यही कर्मयोग की सर्वोच्च अवस्था है।


२. "बुद्धिर् बलं यशो धैर्यं" – पंचशक्ति योग
हनुमान जी में पाँच गुण – बुद्धि, बल, यश, धैर्य और नीति – योगी के लिए आदर्श हैं।
👉 यह सूत्र कहता है कि सच्चा योगी शारीरिक, मानसिक और नैतिक बल में संतुलित होता है।


३. "लघिमा-गरिमा सिद्धि" – शक्ति योग
हनुमान जी अणु भी बनते हैं और महाकाय भी।
👉 यह योगसूत्र शरीर और चित्त की पूर्ण साधना का प्रतीक है – जहाँ साधक अपने शरीर और चेतना को इच्छानुसार नियंत्रित कर सकता है।


४. "मन, वचन, कर्म में एकता" – त्रिवेणी योग
हनुमान जी जो सोचते हैं, वही बोलते हैं, वही करते हैं।
👉 योग में यह सम्पूर्णता की स्थिति है, जहाँ विचार, वाणी और कर्म – तीनों एक रेखा में चलते हैं।


५. "राम नाम ही प्राण" – जप योग
हनुमान जी निरंतर राम नाम जपते हैं।
👉 यह सूत्र भक्ति योग का हृदय है – जहाँ नाम-स्मरण से आत्मा जाग्रत होती है।


६. "स्व-अस्तित्व का विसर्जन" – अहंकार-त्याग योग
हनुमान जी ने अपना सम्पूर्ण अस्तित्व श्रीराम के चरणों में समर्पित किया।
👉 यह योगसूत्र अहंकार से मुक्ति का संदेश देता है – जहाँ "मैं" मिटता है और "ईश्वर" प्रकट होता है।


७. "भय का नाश, आत्मबल का प्रकाश" – निर्भय योग
हनुमान जी का नाम लेते ही भय मिटता है।
👉 यह सूत्र बताता है कि सच्चा योगी निर्भय और आत्मबल से परिपूर्ण होता है।


अंतिम सार:
हनुमान योग सूत्र, केवल आसन या साधना नहीं – बल्कि यह जीवन जीने की दिव्य शैली है।
भक्ति + शक्ति + सेवा + ध्यान = हनुमान योग
जो भी साधक इस मार्ग पर चलता है, वह शिवत्व की ओर बढ़ता है।

डॉ संजीव शर्मा योगाचार्य 

हिमालयन योगा 

www.himyoga.org

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